Timings: 7:30 AM - 8:30 PM

Why are PretRaj Sarkar worshipped first at Mehandipur Balaji?

img

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में बसा एक ऐसा धाम है, जहां हर कदम पर आस्था और रहस्य का संगम दिखाई देता है। यहाँ की हवा में ही एक अलग सी ऊर्जा महसूस होती है, जो भक्तों को अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन अगर आप कभी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Mandir) के दर्शन के लिए गए हैं, तो आपको एक अनोखी परंपरा का सामना करना पड़ा होगा – बालाजी महाराज के दर्शन से पहले प्रेतराज सरकार की पूजा। जी हाँ, यह परंपरा इतनी गहरी है कि इसे नजरअंदाज करना भक्ति के मार्ग में बाधा बन सकता है। आज हम इसी सवाल पर गहराई से बात करेंगे: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार क्यों पहले पूजे जाते हैं? हम न केवल इसकी कथा और महत्व को समझेंगे, बल्कि यह भी जानेंगे कि कैसे यह परंपरा भक्तों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाती है।

मैंने खुद कई बार इस धाम का दर्शन किया है, और हर बार यह सवाल मेरे मन में कौंधता रहा। क्यों बालाजी, जो हनुमान जी के बाल रूप हैं और संकट मोचन कहलाते हैं, उनके दरबार में पहला स्थान प्रेतराज सरकार को क्यों मिलता है? आइए, इस रहस्य को खोलते हैं। यह ब्लॉग न केवल आस्था के पाठकों के लिए है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं। चलिए, शुरू करते हैं इस आध्यात्मिक सफर को।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का परिचय: आस्था का अनोखा केंद्र

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर दो छोटी पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है, जो राजस्थान की शुष्क भूमि में एक हरा-भरा और शांतिपूर्ण द्वीप जैसा लगता है। यह मंदिर हनुमान जी के बाल रूप, यानी बालाजी महाराज को समर्पित है, लेकिन यहाँ तीन प्रमुख देवताओं की पूजा होती है – बालाजी महाराज, प्रेतराज सरकार और भैरव कोतवाल। मान्यता है कि लगभग 1000 वर्ष पहले इन तीनों देवताओं का यहीं प्रकटीकरण हुआ था। मंदिर का इतिहास 11वीं शताब्दी के संत गणेश पुरी जी से जुड़ा है, जिनके पूर्वज को स्वप्न में बालाजी ने दर्शन दिए और कहा कि तीन शक्तियों – घाटे वाले बालाजी, प्रेतराज सरकार और भैरो नाथ – के लिए मंदिर बनवाओ।

यह धाम भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक प्रभाव और मानसिक कष्टों से मुक्ति के लिए विश्वविख्यात है। लाखों भक्त सालाना यहाँ आते हैं, खासकर मंगलवार और शनिवार को, जब मंदिर में भारी भीड़ उमड़ आती है। लेकिन दर्शन की प्रक्रिया अनोखी है। मंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले प्रेतराज सरकार का दरबार दिखता है, फिर भैरव कोतवाल का, और अंत में बालाजी महाराज का। यह क्रम कोई संयोग नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक न्याय व्यवस्था का हिस्सा है। अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जा रहे हैं, तो इन नियमों को समझना जरूरी है, वरना आपकी यात्रा अधूरी रह सकती है।

मंदिर का वातावरण भी कम रहस्यमयी नहीं। यहाँ की हवा में एक अजीब सी कंपन महसूस होता है, जो कभी शांति देती है तो कभी भय। लेकिन सच्चे मन से आने वाले भक्तों के लिए यह ऊर्जा मुक्ति का माध्यम बन जाती है। अब सवाल यह है कि प्रेतराज सरकार कौन हैं और उनकी पूजा क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

प्रेतराज सरकार कौन हैं? एक रहस्यमयी शक्ति की पहचान

प्रेतराज सरकार को भूतों का राजा कहा जाता है। वे बालाजी महाराज के दरबार के दंडनायक हैं, यानी वे उन बुरी आत्माओं को दंड देने का अधिकार रखते हैं जो भक्तों को कष्ट दे रही होती हैं। मंदिर की मान्यता के अनुसार, प्रेतराज सरकार एक न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं। वे नकारात्मक शक्तियों को नियंत्रित करते हैं और यह तय करते हैं कि कौन सी बाधा दूर होनी चाहिए। उनके भोग में पके चावल, खीर और उड़द की दाल चढ़ाई जाती है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है।

कथा के अनुसार, जब बालाजी महाराज का प्रकटीकरण हुआ, तो प्रेतराज सरकार उनके साथ प्रकट हुए। एक लोककथा में कहा जाता है कि हनुमान जी ने रावण के भाई विभीषण को आशीर्वाद दिया था कि कलियुग में वे संकट मोचन के रूप में पूजे जाएंगे। इसी वरदान के चलते मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार को बालाजी से पहले पूजा जाता है। क्योंकि वे ही वे द्वारपाल हैं जो भक्त की प्रार्थना को मुख्य दरबार तक पहुँचाने का काम करते हैं। अगर प्रेतराज सरकार की अनुमति न हो, तो बालाजी की कृपा प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

मैंने एक बार एक बुजुर्ग भक्त से सुना था कि प्रेतराज सरकार की पूजा न करने से भक्त को रास्ते में ही अस्वस्थता महसूस हो सकती है। यह सुनने में डरावना लगता है, लेकिन यह आस्था का हिस्सा है। प्रेतराज सरकार की मूर्ति काले पत्थर से बनी है, और उनके सामने जलते दीपक भक्तों की मनोकामनाओं को रोशनी देते हैं। उनकी पूजा से न केवल बाधाएँ दूर होती हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता आती है। अब आइए, समझते हैं कि यह पूजा पहले क्यों की जाती है।

प्रेतराज सरकार की पूजा पहले क्यों? आध्यात्मिक न्याय की व्यवस्था

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार की पूजा पहले इसलिए की जाती है क्योंकि वे बुरी शक्तियों के राजा हैं। मान्यता है कि भक्त जब मंदिर पहुँचता है, तो उसके साथ जुड़ी नकारात्मक ऊर्जाएँ पहले प्रेतराज सरकार के दरबार में पेश होती हैं। प्रेतराज सरकार इन बाधाओं का न्याय करते हैं – अगर वे निर्दोष हैं, तो छोड़ देते हैं, वरना दंडित कर बालाजी महाराज को सौंप देते हैं। यह एक तरह की फिल्टरिंग प्रक्रिया है, जो सुनिश्चित करती है कि केवल शुद्ध प्रार्थनाएँ ही मुख्य देवता तक पहुँचें।

एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने लंका दहन किया, तो प्रेतराज ने उनकी सहायता की। इसके बदले हनुमान जी ने उन्हें वरदान दिया कि मेरे किसी भी धाम में तुम्हारी पूजा पहले होगी। इसी वरदान के कारण यह परंपरा चली आ रही है। अगर आप बालाजी के दर्शन बिना प्रेतराज की पूजा किए करेंगे, तो आपकी मनोकामना अधर में लटक सकती है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कई भक्तों ने ऐसा करने पर रास्ते में ही बीमारी या दुर्घटना का सामना किया।

यह परंपरा केवल पूजा तक सीमित नहीं है। प्रेतराज सरकार की पूजा से भक्त को आत्मिक शुद्धि मिलती है। वे भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र या वास्तु दोष से मुक्ति दिलाते हैं। एक बार मेरी एक सहेली ने बताया कि वह सालों से मानसिक परेशानी से जूझ रही थी। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाकर पहले प्रेतराज सरकार को अर्जी लगाई, तो उसे तुरंत राहत मिली। यह अनुभव हजारों भक्तों का है। तो, यह पूजा पहले इसलिए जरूरी है क्योंकि यह भक्ति का पहला द्वार है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नियम: पूजा की सख्ती

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए कुछ सख्त नियम हैं, जो आस्था को मजबूत बनाते हैं। सबसे पहले, दर्शन से कम से कम एक सप्ताह पहले तामसिक भोजन – मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन – का त्याग करें। मंदिर में प्रवेश करते ही पीछे मुड़कर न देखें, क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा लग सकती है। प्रसाद को घर न ले जाएँ, बल्कि मंदिर परिसर में ही ग्रहण करें।

दर्शन का समय सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक है, लेकिन आरती के समय – मंगला आरती सुबह 6 बजे और संध्या आरती शाम 8 बजे – का विशेष महत्व है। मंगलवार और शनिवार को विशेष भीड़ होती है, इसलिए पहले से योजना बनाएँ। अगर आप प्रेतराज सरकार की पूजा कर रहे हैं, तो उनके सामने चालीसा का पाठ करें। यह नियम न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक शुद्धि के लिए हैं। इनका पालन करने से आपकी यात्रा सुखद बनेगी।

प्रेतराज सरकार की पूजा विधि: सरल लेकिन प्रभावी

प्रेतराज सरकार की पूजा सरल है, लेकिन इसमें पूर्ण श्रद्धा जरूरी है। सबसे पहले, उनके दरबार में जाकर अर्जी लगाएँ। अर्जी में 6 लड्डू, उड़द दाल और चावल की थाली चढ़ाएँ। मन ही मन अपनी समस्या बताएँ और मुक्ति की प्रार्थना करें। फिर, चालीसा पढ़ें और भोग लगाएँ। पूजा के बाद, अगर मनोकामना पूरी हो, तो सवामणी चढ़ाने का संकल्प लें।

यह विधि न्याय की तरह है – प्रेतराज सरकार सुनते हैं, फैसला देते हैं, और फिर बालाजी को सौंपते हैं। कई भक्त बताते हैं कि पूजा के दौरान उन्हें स्वप्न या संकेत मिलते हैं। यह अनुभव इतना गहरा होता है कि जीवन बदल जाता है। तो, अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जा रहे हैं, तो इस विधि को अपनाएँ।

बालाजी मंदिर में अन्य अनुष्ठान: सवामणी, चोला और अर्जी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की भक्ति केवल दर्शन तक सीमित नहीं। यहाँ कई अनुष्ठान हैं जो भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। सबसे प्रमुख है सवामणी, जो मनोकामना पूर्ति के बाद चढ़ाई जाती है। इसमें 56 प्रकार के व्यंजन बालाजी को अर्पित किए जाते हैं। अगर आप दूर रहते हैं, तो मेहंदीपुर बालाजी सवामणी ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji sawamani online booking) कर सकते हैं, जो श्री श्याम मिष्ठान भंडार जैसी संस्थाओं से उपलब्ध है। यह सुविधा भक्तों को घर बैठे भक्ति का अवसर देती है।

फिर आता है चोला चढ़ाना, जो बालाजी को नया वस्त्र अर्पित करने का प्रतीक है। मेहंदीपुर बालाजी चोला बुकिंग (Mehandipur balaji chola booking) मंदिर के पास उपलब्ध है, लेकिन ऑनलाइन विकल्प मेहंदीपुर बालाजी चोला  ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji chola online booking) से और आसान हो गया है। सोने या चांदी के चोले विशेष अवसरों पर चढ़ाए जाते हैं, जो भक्ति की गहराई दिखाते हैं।

अर्जी बुकिंग भी महत्वपूर्ण है। मेहंदीपुर बालाजी अर्जी बुकिंग (Mehandipur balaji arji booking) से आप प्रेतराज सरकार को अपनी समस्या बता सकते हैं। यह थाली में लड्डू और चावल चढ़ाने की प्रक्रिया है, जो बाधाओं से मुक्ति दिलाती है। सवामनी ऑनलाइन बुकिंग (Sawamani Online Booking) से सवामणी की व्यवस्था घर से हो जाती है, जो आधुनिक भक्तों के लिए वरदान है। ये अनुष्ठान मंदिर की परंपराओं को जीवंत रखते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे पहुँचें? यात्रा गाइड

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर पहुँचना आसान है। दिल्ली से 250 किमी, जयपुर से 100 किमी दूर। निकटतम रेलवे स्टेशन बांदीकुई जंक्शन है, जहाँ से बस या टैक्सी मिल जाती है। सड़क मार्ग से आगरा, मथुरा या जयपुर से सीधी बसें उपलब्ध हैं। मंदिर के पास पार्किंग और धर्मशालाएँ हैं, लेकिन पीक दिनों में पहले बुक करें।

यात्रा के दौरान साफ-सुथरे कपड़े पहनें और सकारात्मक मन रखें। रास्ते में छोटे-छोटे मंदिर दिखेंगे, जो यात्रा को और रोचक बनाते हैं। अगर आप परिवार के साथ जा रहे हैं, तो बच्चों को नियम बताएँ। यह यात्रा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक भी है।

भक्तों के अनुभव: सच्ची कहानियाँ जो प्रेरित करती हैं

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के भक्तों की कहानियाँ सुनने में मजा आता है। एक युवा ने बताया कि वह सालों से नौकरी की तलाश में परेशान था। प्रेतराज सरकार को अर्जी लगाने के बाद, उसे तुरंत अवसर मिला। एक और महिला ने शेयर किया कि तांत्रिक बाधा से पीड़ित थी, लेकिन सवामणी चढ़ाने के बाद जीवन सामान्य हो गया। ये कहानियाँ साबित करती हैं कि यह धाम चमत्कारी है।

मैंने खुद एक बार ऐसा अनुभव किया जब मेरी फैमिली में किसी को स्वास्थ्य समस्या थी। प्रेतराज सरकार की पूजा के बाद, सब ठीक हो गया। ये अनुभव आस्था को मजबूत करते हैं।

निष्कर्ष: प्रेतराज सरकार की पूजा से प्राप्त हो सच्ची शांति

तो, अब आप समझ गए होंगे कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार क्यों पहले पूजे जाते हैं। यह परंपरा न्याय, शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है। अगर आप संकटों से जूझ रहे हैं, तो इस धाम का दर्शन जरूर करें। पहले प्रेतराज सरकार को नमन करें, फिर बालाजी की कृपा लें। जय बालाजी! जय प्रेतराज सरकार!

यदि आप  मेहंदीपुर बालाजी सवामणी ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji sawamani online booking) करना चाहते हैं, तो ऊपर बताए गए विकल्पों का उपयोग करें। यह यात्रा आपके जीवन को बदल देगी। सुरक्षित रहें, आस्था निभाएँ।