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Ekadashi Rules at Mehandipur Balaji Temple

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क्या आप जानते हैं कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में एकादशी के दिन कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करना भक्तों के लिए अनिवार्य है? मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान के दौसा जिले में स्थित, हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो अपनी चमत्कारिक शक्तियों और भूत-प्रेत से मुक्ति दिलाने के लिए जाना जाता है। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है, जो इसे एक रहस्यमय और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है। एकादशी का दिन हिंदू धर्म में व्रत और पूजा का विशेष दिन होता है, और इस दिन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में भक्तों की भीड़ लग जाती है, क्योंकि मेहंदीपुर बालाजी एकादशी नियम के अनुसार की गई पूजा से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। इस लेख में हम एकादशी के दिन बालाजी मंदिर नियम, उनकी मान्यताओं, और यात्रा की तैयारी के बारे में विस्तार से बताएंगे।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur balaji temple) का इतिहास सदियों पुराना है, और यहां हनुमान जी के साथ-साथ भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार की पूजा भी की जाती है। प्रेतराज सरकार को बुरी आत्माओं को दंड देने वाला माना जाता है, और उन्हें चावल और खीर का भोग चढ़ाया जाता है। मेहंदीपुर बालाजी में एकादशी के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जैसे कि अर्जी का भोग न चढ़ाना, प्रसाद घर न ले जाना, और सात्विक आहार का पालन करना।

एकादशी का धार्मिक महत्व

एकादशी हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है, और व्रत रखकर भक्त अपने पापों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। एकादशी पर बालाजी मंदिर की मान्यता के अनुसार, इस दिन हनुमान जी की पूजा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। मेहंदीपुर बालाजी में एकादशी का दिन और भी खास हो जाता है, क्योंकि यहां हनुमान जी के बाल रूप की पूजा होती है, जो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 17वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जयसिंह ने कराई थी। मंदिर दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है, और इसकी शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। मंदिर में हनुमान जी के साथ-साथ भैरव बाबा और प्रेतराज सरकार की पूजा भी की जाती है। प्रेतराज सरकार को बुरी आत्माओं को दंड देने वाला माना जाता है, और उन्हें चावल और खीर का भोग चढ़ाया जाता है।

एकादशी के दिन मेहंदीपुर बालाजी में नियम

मेहंदीपुर बालाजी में एकादशी के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य है। ये नियम भक्तों की भक्ति को शुद्ध रखने और नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए बनाए गए हैं। नीचे कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:

अर्जी का भोग नहीं चढ़ता

मेहंदीपुर बालाजी अर्जी नियम के अनुसार, एकादशी के दिन अर्जी का भोग नहीं चढ़ाया जाता। अर्जी एक विशेष प्रार्थना है, जिसमें भक्त अपनी मनोकामना या समस्या को बालाजी के सामने रखते हैं। सामान्यतः अर्जी के भोग में चावल शामिल होते हैं, लेकिन हनुमान जी को एकादशी पर भोग क्यों नहीं चढ़ाते? इसका कारण यह है कि एकादशी के दिन चावल खाना या चढ़ाना वर्जित है। यदि अर्जी लगाना आवश्यक हो, तो भक्त लाल कपड़े में 281 रुपये बांधकर श्री बालाजी महाराज को अर्पित कर सकते हैं।

प्रसाद घर नहीं ले जाना

बालाजी मंदिर में एकादशी पर भोग और प्रसाद से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम है कि मंदिर का प्रसाद घर नहीं ले जाना चाहिए। मेहंदीपुर बालाजी में प्रसाद दो प्रकार का होता है: दरखास्त और अर्जी। दरखास्त का प्रसाद दो बार खरीदा जाता है और चढ़ाने के बाद तुरंत मंदिर से निकल जाना चाहिए। अर्जी का प्रसाद तीन थालियों में चढ़ाया जाता है और लौटते समय इसे पीछे फेंक दिया जाता है, बिना मुड़े देखे। मान्यता है कि प्रसाद घर ले जाने से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित हो सकती हैं।

आहार संबंधी प्रतिबंध

मेहंदीपुर बालाजी व्रत नियम के तहत, मंदिर जाने से कम से कम 11 दिन पहले से सात्विक आहार लेना शुरू कर देना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडे, और शराब जैसे तामसिक पदार्थों से परहेज करना अनिवार्य है। यह नियम शरीर और मन को शुद्ध रखने में मदद करता है। एकादशी के दिन भी केवल सात्विक भोजन, जैसे फल और दूध, ग्रहण करना चाहिए।

दर्शन के बाद के नियम

एकादशी बालाजी मंदिर दर्शन के बाद कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। बालाजी के दर्शन के बाद भगवान राम और माता सीता के दर्शन करना अनिवार्य है। यह बालाजी दरबार की परंपराएं का हिस्सा है। इसके अलावा, दर्शन के दौरान और बाद में पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, न ही मंदिर में किसी से बात करनी चाहिए। आरती के समय केवल भगवान की ओर देखें और किसी के बुलाने पर जवाब न दें।

अन्य नियम

  • मंदिर में किसी भी पूजन सामग्री को अपने हाथ से नहीं छूना चाहिए।
  • मंदिर परिसर में किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी या हंसी-मजाक नहीं करना चाहिए, खासकर उन लोगों पर जो ऊपरी हवा (नकारात्मक शक्तियों) से प्रभावित हैं।
  • मंदिर से कोई भी खाने-पीने की वस्तु, जैसे पानी की बोतल, घर नहीं ले जानी चाहिए।

नियम

विवरण

अर्जी का भोग

एकादशी के दिन चावल के कारण अर्जी का भोग नहीं चढ़ता। लाल कपड़े में 281 रुपये चढ़ाएं।

प्रसाद

प्रसाद घर न लाएं; मंदिर में ग्रहण करें या छोड़ दें।

आहार

11 दिन पहले से प्याज, लहसुन, मांस, शराब से परहेज करें।

दर्शन

बालाजी के बाद राम और सीता के दर्शन करें।

व्यवहार

मंदिर में बात न करें, पीछे न देखें।

 

सवामणी और चोला बुकिंग

मेहंदीपुर बालाजी सवामणी एक विशेष भोग है, जो भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाते हैं। इसमें हलुआ पूड़ी और लड्डू पूड़ी शामिल होती है, जो श्री बालाजी महाराज, भैरव बाबा, और प्रेतराज सरकार को चढ़ाई जाती है। सवामणी का भोग सुबह 11:30 से दोपहर 2:00 बजे तक चढ़ाया जाता है। भक्त इसे श्री राम दूत प्रसाद समिति या मंदिर के बाहर की दुकानों से बुक कर सकते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी चोला बुकिंग (Mehandipur balaji chola booking) एक और महत्वपूर्ण सेवा है। चोला एक विशेष वस्त्र है, जो घी, सिंदूर, और चमेली के तेल से तैयार किया जाता है। मान्यता है कि चोला चढ़ाने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर होती हैं। आप इसे ऑनलाइन बुक कर सकते हैं (Mehandipur Sawamani)। मेहंदीपुर बालाजी सवामणी ऑनलाइन बुकिंग भी उपलब्ध है (Mehandipur Balaji Sawamani), जिससे आप घर बैठे अपनी पूजा की व्यवस्था कर सकते हैं।

एकादशी पर विशेष पूजा-अर्चना

एकादशी बालाजी मंदिर दर्शन के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सुबह और शाम की आरती में भाग लेना शुभ माना जाता है। हालांकि, एकादशी को भोग क्यों नहीं चढ़ता? इसका कारण चावल का उपयोग है, जो इस दिन वर्जित है। फिर भी, भक्त अन्य पूजा, जैसे हवन और कीर्तन, में भाग ले सकते हैं। मंदिर में रोजाना दोपहर 2 बजे कीर्तन होता है, जिसमें नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं।

यात्रा की तैयारी

मेहंदीपुर बालाजी की यात्रा की योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • सात्विक आहार: मंदिर जाने से पहले 11 दिन तक सात्विक भोजन लें।
  • स्वच्छता: स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • समय: भीड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी या बारिश के बाद जाएं। मंदिर जयपुर से 100 किमी और दिल्ली से 280 किमी दूर है।
  • यात्रा साधन: निकटतम रेलवे स्टेशन बांदीकुई (30 किमी) है, जहां से बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
  • ऑनलाइन बुकिंग: सवामणी और चोला बुकिंग के लिए ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करें।

निष्कर्ष

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का अवसर देता है। मेहंदीपुर बालाजी एकादशी नियम का पालन करना इस यात्रा को और भी सार्थक बनाता है। एकादशी के दिन बालाजी मंदिर नियम, जैसे कि अर्जी का भोग न चढ़ाना, प्रसाद घर न ले जाना, और सात्विक आहार का पालन, भक्तों की भक्ति को शुद्ध और प्रभावी बनाते हैं। इन नियमों का पालन न करने से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित हो सकती हैं, जो आपकी पूजा को प्रभावित कर सकती हैं।

एकादशी पर बालाजी मंदिर की मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायी होती है। हनुमान जी को एकादशी पर भोग क्यों नहीं चढ़ाते? इसका कारण चावल का उपयोग है, जो इस दिन वर्जित है। फिर भी, भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ अन्य पूजा-अर्चना में भाग ले सकते हैं। बालाजी मंदिर का विशेष नियम, जैसे कि दर्शन के बाद भगवान राम और माता सीता के दर्शन करना, मंदिर की परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है।

आधुनिक समय में, मेहंदीपुर बालाजी सवामणी और मेहंदीपुर बालाजी चोला बुकिंग जैसी ऑनलाइन सेवाएं भक्तों के लिए सुविधाजनक हैं। ये सेवाएं भक्तों को घर बैठे अपनी पूजा की व्यवस्था करने और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, आप मेहंदीपुर बालाजी सवामणी ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji sawamani online booking) के माध्यम से अपनी सवामणी बुक कर सकते हैं।🚩

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