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Difference Between Salasar Balaji and Mehandipur Balaji

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भारत में भगवान हनुमान की भक्ति का विशेष महत्व है, और राजस्थान के दो प्रसिद्ध मंदिर—सालासर बालाजी और मेहंदीपुर बालाजी—इस भक्ति के प्रमुख केंद्र हैं। ये दोनों मंदिर हनुमान जी को समर्पित हैं, लेकिन उनकी विशेषताएं, उद्देश्य, और परंपराएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। सालासर बालाजी, जो चूरू जिले में जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है, अपनी अनोखी मूर्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें हनुमान जी दाढ़ी और मूंछों के साथ विराजमान हैं। यह भारत का एकमात्र ऐसा हनुमान मंदिर है। दूसरी ओर, मेहंदीपुर बालाजी, दौसा जिले में दो पहाड़ियों के बीच बसे घाटा मेहंदीपुर में स्थित है, जो भूत-प्रेत, काले जादू, और मानसिक समस्याओं से मुक्ति के लिए जाना जाता है। यहां की मेहंदीपुर बालाजी सवामनी (Mehandipur balaji sawamani) परंपरा श्रद्धालुओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहां लोग अपनी समस्याओं के निवारण के लिए विशेष पूजा करवाते हैं।

जैसा कि हनुमान चालीसा में कहा गया है, "संकट मोचन हनुमान की जय", ये दोनों मंदिर हनुमान जी की कृपा के प्रतीक हैं। सालासर बालाजी में श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नारियल बांधते हैं, जबकि मेहंदीपुर बालाजी में लोग अपनी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए विशेष अर्जी लगाते हैं। दोनों मंदिरों का इतिहास और चमत्कारिक कथाएं लाखों भक्तों को आकर्षित करती हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इन मंदिरों के इतिहास, विशेषताओं, और महत्व को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा की सही योजना बना सकें। चाहे आप सामान्य दर्शन के लिए जा रहे हों या किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए, यह लेख आपको दोनों मंदिरों के बीच का अंतर समझने में मदद करेगा।

सालासर बालाजी मंदिर

इतिहास

सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास 1755 ईस्वी से शुरू होता है। यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। किंवदंती है कि संत मोहन दास जी महाराज की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान हनुमान असोटा गांव (नागौर जिला) में मूर्ति रूप में प्रकट हुए। एक किसान को खेत जोतते समय यह मूर्ति मिली, जिसे उसकी पत्नी ने अपनी साड़ी से साफ किया और बाजरे के चूरमे का भोग लगाया। यह परंपरा आज भी जारी है।

असोटा के ठाकुर को सपने में आदेश मिला कि मूर्ति को सालासर भेजा जाए। संत मोहन दास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन दिए। 1755 में श्रावण शुक्ल नवमी को मूर्ति सालासर में स्थापित की गई, जहां गाड़ियां रेत के टीले पर रुक गईं। 1759 में नूर मोहम्मद और दौ ने मंदिर का निर्माण किया, जो सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। संत मोहन दास जी ने अपने शिष्य उदयराम जी को सेवा सौंपी और 1794 में समाधि ले ली।

विशेषताएं

सालासर बालाजी मंदिर (श्री सालासर बालाजी मंदिर) जयपुर-बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। यह मंदिर अपनी अनूठी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हनुमान जी दाढ़ी और मूंछों के साथ विराजमान हैं—यह भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है। श्री हनुमान सेवा समिति मंदिर का प्रबंधन करती है, जो यात्रियों के लिए धर्मशालाएं और भोजनालय उपलब्ध कराती है।

महत्व

सालासर बालाजी मंदिर हनुमान भक्तों के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर विशाल मेले लगते हैं। श्रद्धालु मान्यता रखते हैं कि नारियल बांधने (मनौती) से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मोहन दास जी की समाधि और धूना (पवित्र अग्नि) भी दर्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

इतिहास

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह राजस्थान के दौसा जिले में दो पहाड़ियों के बीच घाटा मेहंदीपुर में स्थित है। मान्यता है कि हनुमान जी की मूर्ति एक चट्टान में स्वयंभू रूप में उभरी। मंदिर का इतिहास रहस्यमयी है, और इसे भूत-प्रेत मुक्ति के लिए जाना जाता है।

विशेषताएं

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (मेहंदीपुर बालाजी) जयपुर से 65 किमी दूर है। यहां तीन मुख्य देवता पूजे जाते हैं: बालाजी महाराज, प्रेत राज, और प्रेत भैरो बाबा। बालाजी का मंदिर पहाड़ी के आधार पर है, जबकि प्रेत राज और भैरो बाबा पहाड़ियों पर हैं। मंदिर में 151 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, प्राचीन नीम का पेड़, और ताले (बुरी आत्माओं को फंसाने के लिए) प्रमुख हैं। मेहंदीपुर बालाजी अर्जी बुकिंग (Mehandipur balaji arji booking) के लिए भी जाना जाता है, जहां श्रद्धालु अपनी समस्याओं के लिए अर्जी लगाते हैं।

महत्व

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भूत-प्रेत और मानसिक समस्याओं से मुक्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां तीन दिवसीय उपचार प्रक्रिया में शराब, सिगरेट, नारियल, नींबू, और सफेद धागे का उपयोग होता है। धर्मशालाओं में गुप्त पेशियां (सुनवाई) होती हैं। मंदिर का पानी नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए घर ले जाया जाता है। यहां 56 कालवे, 64 योगिनी, 52 भैरव शिला, और अन्य स्वयंभू मूर्तियां हैं।

सालासर बालाजी और मेहंदीपुर बालाजी में अंतर

विशेषता

सालासर बालाजी

मेहंदीपुर बालाजी

स्थान

चूरू जिला, राजस्थान

दौसा जिला, राजस्थान

मूर्ति

दाढ़ी-मूंछ वाली हनुमान मूर्ति

स्वयंभू चट्टान रूप

उद्देश्य

सामान्य तीर्थयात्रा, मनोकामना पूर्ति

भूत-प्रेत मुक्ति, मानसिक उपचार

रीति-रिवाज

नारियल बांधना

विशेष उपचार प्रक्रिया

प्रमुख मेले

चैत्र और आश्विन पूर्णिमा

कोई विशेष मेले नहीं, साल भर दर्शन

 

कैसे पहुंचें

सालासर बालाजी

  • रेलवे: निकटतम स्टेशन सीकर (57 किमी) और सुजानगढ़ (24 किमी) हैं।
  • सड़क: जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर बस और टैक्सी उपलब्ध।
  • हवाई: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर (लगभग 170 किमी)।

मेहंदीपुर बालाजी

  • रेलवे: बांदीकुई जंक्शन (30 किमी) निकटतम स्टेशन।
  • सड़क: जयपुर, आगरा, मथुरा से बसें मेहंदीपुर बालाजी मोड़ पर रुकती हैं।
  • हवाई: जयपुर हवाई अड्डा (लगभग 100 किमी)।

मेहंदीपुर बालाजी सवामनी ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji sawamani online booking) की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे श्रद्धालु आसानी से अपनी पूजा बुक कर सकते हैं।

श्रेष्ठ समय

  • सालासर बालाजी: चैत्र और आश्विन पूर्णिमा के मेले सबसे जीवंत होते हैं। हनुमान जयंती भी विशेष है।
  • मेहंदीपुर बालाजी: साल भर दर्शन के लिए उपयुक्त, लेकिन मंगलवार और शनिवार को भीड़ अधिक होती है।

निष्कर्ष

सालासर बालाजी और मेहंदीपुर बालाजी दोनों ही हनुमान भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और परंपराएं एक-दूसरे से भिन्न हैं। सालासर बालाजी सामान्य भक्ति, मनोकामना पूर्ति, और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है, जहां हनुमान जी की अनोखी दाढ़ी-मूंछ वाली मूर्ति और वार्षिक मेलों का आयोजन श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। दूसरी ओर, मेहंदीपुर बालाजी भूत-प्रेत, मानसिक समस्याओं, और काले जादू से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है, जहां विशेष उपचार प्रक्रियाएं और रहस्यमयी वातावरण लोगों को चुंबकित करता है। मेहंदीपुर बालाजी सवामनी ऑनलाइन बुकिंग (Mehandipur balaji sawamani online booking) की सुविधा भी श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुविधाजनक है, जिससे वे आसानी से अपनी पूजा की योजना बना सकते हैं।

चाहे आप सालासर बालाजी की शांति और भक्ति का अनुभव करना चाहते हों या मेहंदीपुर बालाजी की चमत्कारिक शक्तियों का साक्षी बनना चाहते हों, दोनों ही स्थान आपको हनुमान जी के अद्भुत स्वरूपों से रूबरू कराएंगे। जैसा कि हनुमान चालीसा में कहा गया है, "ताते लीन होइए, जो राखै तात।" इन मंदिरों में, आप न केवल भगवान हनुमान के दर्शन करेंगे बल्कि उनकी कृपा और संरक्षण का अनुभव भी करेंगे। अपनी आवश्यकता के अनुसार मंदिर चुनें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करें।

Book Now : +91 99506 10820

जय श्री राम! जय बजरंग बली! 🚩