श्री बालाजी मंदिर में छप्पन भोग चढ़ाने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री हरि (विष्णु) के अंशावतार बालाजी को यह विशेष भोग समर्पित किया जाता है। छप्पन भोग का सीधा संबंध भगवान कृष्ण की कथा से है, जब गोवर्धन पर्वत उठाने के कारण वे 56 दिनों तक बिना भोजन के रहे थे। इसके बाद, भक्तों ने उनकी पूजा के दौरान 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए, जो अब छप्पन भोग के रूप में प्रसिद्ध हैं।
यह परंपरा आज भी कई मंदिरों में जीवित है, विशेष रूप से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में, जहां श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर छप्पन भोग अर्पित करते हैं। भक्त अब "Mehandipur Balaji Arji Booking" के माध्यम से ऑनलाइन अर्जी लगाकर अपनी पूजा करवा सकते हैं।
बालाजी महाराज को दिन में कई बार भोग अर्पित किया जाता है। मंदिरों में प्रचलित परंपरा के अनुसार, मुख्य रूप से भोग तीन समय होता है:
भक्त अपनी विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए "Mehandipur Balaji Arji Booking" के माध्यम से भोग अर्पित करने की अर्जी दे सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में छप्पन भोग की परंपरा विशेष महत्व रखती है। यहां भगवान को समर्पित किए जाने वाले 56 व्यंजनों में शामिल हैं:
इस छप्पन भोग को पूरी श्रद्धा और नियमों के अनुसार तैयार किया जाता है, ताकि यह पूरी तरह शुद्ध और सात्विक रहे।
बालाजी महाराज के लिए अर्पित किए जाने वाले व्यंजनों की मात्रा भक्तों की आस्था पर निर्भर करती है। लेकिन परंपरा के अनुसार, प्रमुख व्यंजनों की मानक मात्रा इस प्रकार होती है:
विशेष अवसरों पर या बड़े आयोजनों में यह मात्रा अधिक हो सकती है। भक्त "Mehandipur Balaji Temple Timings" के अनुसार दर्शन कर भोग लगाने का उचित समय चुन सकते हैं।
सवामनी भोग एक विशेष धार्मिक आयोजन है, जिसमें 1.25 मन (50 किलो) खाद्य सामग्री से भगवान को भोग अर्पित किया जाता है। इसकी खास बातें हैं:
भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार "Mehandipur Balaji Sawamani Online Booking" के माध्यम से भी सवामनी भोग अर्पित कर सकते हैं।
हाँ, बालाजी महाराज को लगाया गया भोग सभी भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मंदिर की व्यवस्था के अनुसार:
भक्त इस प्रसाद को पवित्र मानकर ग्रहण करते हैं और इसे अपनी आस्था का प्रतीक समझते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार के लिए भी विशेष भोग अर्पित किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं:
यह भोग प्रेतराज सरकार को समर्पित किया जाता है, जिससे कि उनकी कृपा बनी रहे और भक्तों के कष्ट दूर हों।
भैरव जी महाराज की सवामनी में मुख्य रूप से मसालेदार और तामसिक भोजन अर्पित किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं:
यह सवामनी उन भक्तों द्वारा कराई जाती है जो विशेष अनुष्ठान या समस्या समाधान हेतु पूजा कर रहे होते हैं।
बालाजी महाराज का महाप्रसाद अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह प्रसाद कई तरह के खाद्य पदार्थों से बना होता है, जिनमें शामिल हैं:
मंदिर में महाप्रसाद ग्रहण करने का विशेष महत्व है क्योंकि इसे "प्रसादम" रूप में ग्रहण करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
बालाजी महाराज के छप्पन भोग की परंपरा धार्मिक आस्था, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। भक्त इस भोग को अर्पित कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करते हैं।
यदि आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में सवामनी कराना चाहते हैं तो आप "Mehandipur Balaji Sawamani Online Booking" और "Mehandipur Balaji Arji Booking" के माध्यम से अपनी अर्जी दर्ज करा सकते हैं।
यह परंपरा हमें सिखाती है कि भक्ति में प्रेम, सेवा और समर्पण का भाव होना चाहिए। इस अद्भुत धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनना हर भक्त के लिए सौभाग्य की बात होती है।